आपने सोचा है कि आज सड़के खाली और बैंक या परिवहन सेवाओं पर असर क्यों पड़ सकता है?
ये सिर्फ एक मामुली हालात नहीं है, ये देश के 25 करोड़ से ज्यादा मजदूरों, किसानों और आम जनता की आवाज है Bharat Bandh ! आख़िर क्या है पूरा मामला?
क्या है पूरा मामला? कौन कर रहा है ये राष्ट्रव्यापी हड़ताल?
आज यानि बुधवार को देश की 10 बड़ी सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने ‘Bharat Bandh’ का ऐलान किया है। इसमें उनका साथ दे रहे हैं किसान और ग्रामीण खेत मजदूरों का संगठन। अनुमान है कि इस देश-व्यापी हालात में अलग-अलग सेक्टरों से 25 करोड़ से ज्यादा लोग हिसाब ले रहे हैं। ये एक विरोध है सरकार की उन नीतियों के खिलाफ, जिनके बारे में यूनियनों का कहना है कि वो सिर्फ बड़े बिजनेस-घरानों को फायदा पहुंचा रही हैं, जबकी मजदूरों और किसानों के हितों को नजरंदाज किया जा रहा है।
आख़िर क्यों हो रहा है ये विरोध? क्या हैं मुखिया मांगेंगी?
विरोध कर रहे हैं लोगों की मांगें सिर्फ एक हां दो नहीं हैं, बल्कि एक पूरी लिस्ट है। चलिए, इनके मुखिया मांगों को गहराई से समझते हैं।
सरकारी नौकरी पर संकट और युवा बेरोजगारी
यूनियनों का एक बड़ा आरोप है कि सरकारी विभागों में नये और युवा पेशेवरों को नौकरी देने के बजाय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दोबारा नौकरी पर रखा जा रहा है। उन्होंने इसके लिए रेलवे, इस्पात क्षेत्र और यहां तक की शिक्षा सेवाओं का उद्धार किया। उनका तर्क है कि एक ऐसे देश में जहां 65% आबादी 35 साल से कम है और 20-25 साल के युवाओं में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है, ये कदम युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड है।
नये श्रम संहिता का विरोध
हड़ताल का एक और बड़ा कारण है सरकार द्वारा लाए गए नए लेबर कोड (श्रम कानून)। यूनियनों का दावा है कि ये नए कानून मजदूरों के अधिकारों को कामज़ोर कर देंगे।
- कमजोर अधिकार: इसे यूनियन बनाना या मुश्किल हो जाना और भी मुश्किल हो जाएगा।
- काम के लंबे घंटे: काम करने के घंटे बढ़ाए जा सकते हैं, जैसे श्रमिकों का शोषण होगा।
बेहतर तनख्वा और रोज़गार की माँग
श्रमिक और किसान बेहतर जीवन-यापन के लिए ठोस कदम चाहते हैं।
- अधिक सरकारी नौकरियां: उनकी मांग है कि आम आदमी के लिए सरकारी नौकरी के अवसर बढ़ें।
- मनरेगा: मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूर और काम के दिनों की संख्या बढ़ाने की मांग है। साथ ही, शहरी इलाकों (शहरी क्षेत्र) के लिए भी ऐसी ही रोजगार योजना लाने की बात कही गई है।
यूनियनों ने इस संदर्भ में श्रम मंत्री को एक 17-सूत्रीय मांग-चार्टर भी सौपा है, लेकिन उनका कहना है कि सरकार की तरफ से इसपर कोई थोस विरोध नहीं आया है।
आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर क्या होगा असर?
सबसे बड़ा सवाल – क्या Bandh से आपकी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा?
परिवहन सेवाएँ
सार्वजनिक परिवहन जैसी बस और टैक्सी सेवाएं शहरों में असर डाल सकती हैं। इस ऑफिस जाने वालों और छात्रों को देरी और परेशानी हो सकती है। पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में बस चालकों को हेलमेट पहनकर बस चलाते देखा गया, जो सुरक्षा को लेकर चिंता को दर्शाता है।
बैंकिंग सेवाएँ
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कैलेंडर के मुताबिक बैंकों में छुट्टी नहीं है, इसलिए वो खुले रहेंगे। लेकिन, अगर बैंक यूनियन जल्दबाजी में शामिल होते हैं, तो नकद जमा, निकासी और चेक क्लीयरेंस जैसी सेवाएं प्रभावी हो सकती हैं।
स्कूल, कॉलेज और ऑफिस
सरकारी तौर पर स्कूल, कॉलेज या दफ्तरों को Bandh करने का कोई एलान नहीं है। लेकिन ट्रांसपोर्ट की समस्या के कारण लोगों को परेशानी हो सकती है। बेहतर है कि आप अपने स्थानीय क्षेत्र की खबरों पर नज़र रखें।
शेयर बाज़ार
स्टॉक मार्केट पर इस Bandh का कोई असर नहीं होगा और ट्रेडिंग सामान्य रूप से जारी रहेगी।
पहली बार नहीं, एक लंबी लड़ाई का हिसा Bharat Bandh
ये पहली बार नहीं है जब देश के ट्रेड यूनियनों ने इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया है। इसके पहले भी नवंबर 2020, मार्च 2022 और फरवरी 2024 में ऐसी ही परिस्थितियां हो चुकी हैं। इनका मुख्य मुद्दा हमेशा से सरकारी कंपनियों का निजीकरण (निजीकरण), नौकरी की असुरक्षा, और कार्यबल का कैजुअलाइजेशन (पक्की नौकरियों की जगह अस्थायी काम) हो रहा है। ये Bharat Bandh उसी लड़ाई की एक और कड़ी है।